मोदी सरकार के 11 साल; यूपी में हवाई कनेक्टिविटी से लेकर एक्सप्रेस-वे को मिली ‘रफ्तार’, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े कदम

लखनऊ : पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने विकास की नई ऊंचाइयों को छुआ है. हाईवे नेटवर्क, डिफेंस कॉरिडोर, एयरपोर्ट, रैपिड रेल और मेट्रो नेटवर्क जैसे क्षेत्रों में केंद्र सरकार की योजनाओं और निवेश ने उत्तर प्रदेश को एक नया आयाम दिया है. हालांकि, कुछ क्षेत्रों में चुनौतियां भी सामने आई हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

हाईवे नेटवर्क : मोदी सरकार के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में सड़क नेटवर्क का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को जोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने बड़े पैमाने पर हाईवे और एक्सप्रेस-वे परियोजनाओं पर निवेश किया. भारतमाला परियोजना के तहत कई राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण और चौड़ीकरण किया गया. उत्तर प्रदेश में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, गंगा एक्सप्रेसवे और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे जैसे प्रमुख प्रोजेक्ट्स ने न केवल कनेक्टिविटी को बेहतर किया, बल्कि औद्योगिक और आर्थिक विकास को भी गति दी. जिसमें केंद्र सरकार ने जरूरी मदद की राज्य के लोक निर्माण राज्यमंत्री ब्रजेश सिंह ने बताया कि पिछले आठ वर्षों में उत्तर प्रदेश में लगभग 50,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण हुआ है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को अपनी उपज बाजार तक पहुंचाने में मदद कर रहा है. इन सड़कों ने पर्यटन को बढ़ावा दिया और उद्योगों को नए अवसर प्रदान किए. हालांकि, कुछ क्षेत्रों में सड़कों की गुणवत्ता और रखरखाव की कमी के कारण स्थानीय लोगों में असंतोष भी देखा गया. ग्रामीण सड़कों की मरम्मत और समय पर रखरखाव एक चुनौती बनी हुई है.

डिफेंस कॉरिडोर : उत्तर प्रदेश में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की स्थापना मोदी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र व भाजपा के वरिष्ठ नेता नीरज सिंह ने बताया कि यह कॉरिडोर लखनऊ, कानपुर, अलीगढ़, झांसी, चित्रकूट और बुंदेलखंड जैसे छह नोड्स में विकसित किया जा रहा है. केंद्र सरकार ने इसके लिए 2020-21 के बजट में लगभग 3,700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. इस कॉरिडोर में विस्फोटक सामग्री, हथियार, टैंक और जल आपूर्ति संयंत्रों जैसे क्षेत्रों में निवेश प्रस्तावित है. हाल ही में पर्यावरण मंत्रालय ने इन पांचों नोड्स को एनओसी दे दी है, जिसके तहत पहले चरण में 20 हजार करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है.
उन्होंने बताया कि इसके तहत डीआरडीओ द्वारा लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण इकाई और झांसी में भारत डायनामिक्स लिमिटेड की इकाई स्थापित की जा रही है. इसके अलावा, 8,640 करोड़ रुपये के 62 एमओयू हस्ताक्षरित किए गए हैं, जिनमें से 25 एमओयू के माध्यम से 2,527.68 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है. यह कॉरिडोर न केवल रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि हजारों युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा कर रहा है. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि परियोजनाओं के कार्यान्वयन में देरी और नौकरशाही बाधाएं अभी भी चुनौती बनी हुई हैं.

यरपोर्ट: : मोदी सरकार की उड़ान योजना ने उत्तर प्रदेश में हवाई कनेक्टिविटी को नई दिशा दी है. वाराणसी, लखनऊ, गोरखपुर और प्रयागराज जैसे शहरों में हवाई अड्डों का आधुनिकीकरण किया गया है, जबकि जेवर में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण तेजी से चल रहा है. यह एयरपोर्ट एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा होने की उम्मीद है और इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा, कुशीनगर और अयोध्या में नए हवाई अड्डों ने पर्यटन और धार्मिक यात्रा को बढ़ावा दिया है

जल जीवन मिशन में गड़बड़ियां : केंद्र सरकार की योजना के तहत उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत हर घर को नल से जल देने का लक्ष्य है, लेकिन हाल की खबरों में इस योजना में कई अनियमितताएं सामने आई हैं. सांसदों ने जल शक्ति मंत्रालय की बैठक में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. लखीमपुर खीरी में 3.54 करोड़ की लागत से बनी पानी का टंकी फट गई, पहले भी कई टंकी फट चुकी हैं, जिससे निर्माण में लापरवाही और गुणवत्ता की कमी उजागर हुई. केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों में 100 निरीक्षण टीमें भेजी हैं. ग्रामीणों का कहना है कि मानकों की अनदेखी और भ्रष्टाचार के कारण योजना प्रभावित हो रही है. उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह खुद इस मामले में बहुत गंभीर हैं. उन्होंने ऐसे अधिकारी जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

कौशल विकास निगम में गड़बड़ियां : उत्तर प्रदेश कौशल विकास निगम (UPSDM) का उद्देश्य युवाओं को प्रशिक्षण देकर रोजगार देना है, लेकिन इसमें भी कई गड़बड़ियां सामने आई हैं. प्रशिक्षण केंद्रों में गुणवत्ता की कमी, फर्जी पंजीकरण और धन के दुरुपयोग की शिकायतें मिली हैं. कई केंद्रों पर प्रशिक्षण के नाम पर केवल कागजी कार्रवाई होती है, जिससे युवाओं को वास्तविक कौशल नहीं मिलता. कुछ मामलों में फंड का गलत उपयोग और अपात्र लोगों को लाभ देने की बात भी उजागर हुई है. सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन प्रभावी कार्रवाई का अभाव चिंता का विषय है. दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और रायबरेली के सांसद राहुल गांधी ने भी कुछ कौशल विकास केंद्रों का निरीक्षण करके गड़बड़ियां देखी थीं. इसको लेकर उन्होंने सरकार को आड़े हाथों भी लिया था.

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