बिहार में महिला खिलाड़ियों के लिए मेंस्ट्रुअल हेल्थ पॉलिसी, बनेगा देश का पहला राज्य

पटना: नारी सशक्तिकरण की दिशा में बिहार देश में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. एक तरफ बिहार में पुलिस फोर्स, शिक्षा जगत में वूमेन वर्कफोर्स की संख्या देश के अन्य राज्यों के तुलना में सर्वाधिक है. दूसरी ओर खेल में भी महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में बिहार एक अनोखी पहल अपने जा रहा है.

महिला खिलाड़ियों के लिए मेंस्ट्रुअल हेल्थ पॉलिसी: बिहार जल्द ही महिला खिलाड़ियों के लिए मेंस्ट्रुअल हेल्थ पॉलिसी लाने जा रहा है और इसके साथ ही बिहार देश में पहला ऐसा राज्य होगा जो अपने महिला खिलाड़ियों के लिए अलग से मेंस्ट्रुअल हेल्थ पॉलिसी अपनाएगा. बिहार राज्य खेल प्राधिकरण मेंस्ट्रुअल हेल्थ पॉलिसी बनाने की दिशा में काम कर रहा है जो जल्द ही कैबिनेट से स्वीकृत की जाएगी.

मेंस्ट्रुअल हेल्थ पॉलिसी का तैयार हो रहा ड्राफ्ट: बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविंद्रन संकरण ने बताया कि आज के समय में महिला खिलाड़ियों के लिए मेंस्ट्रुअल हेल्थ पॉलिसी की बहुत जरूरत है. ट्रेनिंग और कंपटीशन के दौरान जब महिला खिलाड़ी पीरियड में आ जाती है तो उनका मानसिक तनाव काफी अधिक होता है. इसके अलावा फिजिकल तनाव भी होता है.

“मेंस्ट्रुअल साइकिल के दौरान महिलाओं को काफी दिक्कतें आती हैं. इस समय उन्हें बेहतर परफॉर्मेंस के लिए साइकोलॉजिस्ट की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा महिलाओं के लिए काफी मेंस्ट्रुअल किट की जरूरत पड़ती है. इसको देखते हुए बिहार सरकार के द्वारा पॉलिसी को तैयार करने के लिए राज्य खेल प्राधिकरण को आदेश मिला है, जिस पर काम चल रहा है.” रविंद्रन संकरण,महानिदेशक,बिहार राज्य खेल प्राधिकरण

पहला राज्य बनेगा बिहार: रवींद्रन संकरण ने बताया कि जैसे ही मेंस्ट्रुअल हेल्थ पॉलिसी ड्राफ्ट हो जाएगी और कैबिनेट में अप्रूव हो जाएगी तो देश में बिहार पहला ऐसा राज्य बनेगा जो महिला खिलाड़ियों के लिए इस प्रकार की पॉलिसी लाएगा. इसके साथ ही बिहार रोल मॉडल बनेगा.

क्यों है पॉलिसी की जरूरत?: इस पॉलिसी के दौरान ट्रेनिंग पीरियड के दौरान महिला खिलाड़ियों को छुट्टी दी जाएगी. इसके अलावा कैंप के दौरान भी प्रैक्टिस में रियायत दी जाएगी. लेकिन सिर्फ छुट्टी से ही काम नहीं चलेगा. महिलाएं इस समय काफी स्ट्रेस में होती हैं. इसके कारण साइकोलॉजिस्ट, डायटिशियन, फिजियोथेरेपिस्ट इत्यादि की जरूरत पड़ती है. पॉलिसी के तहत महिला खिलाड़ियों के लिए इन सभी का प्रबंध किया जाएगा.

‘समझना होगा महिला खिलाड़ियों का दर्द’: रविंद्रन संकरण ने बताया कि पीरियड्स के दौरान कई बार महिला खिलाड़ियों में अधिक ब्लड डिसचार्ज के कारण आयरन डिफिशिएंसी हो जाती है. ऐसे में न्यूट्रीशनिस्ट की जरूरत पड़ती है, ताकि खिलाड़ी अपने परफॉर्मेंस के समय खुद को हेल्दी रख सके उन्होंने बताया कि इस पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य यह भी है कि खेल में अधिकांश पुरुष कोच होते हैं. जो पुरुष कोच हैं, वह मेंस्ट्रूअल साइकल के दौरान महिला खिलाड़ी जिस पेन से गुजरती हैं, उसको अच्छे से समझे.

कई बार पीरियड्स के दौरान महिला खिलाड़ियों को फिजिकल पेन और हाथ पैर में खिंचाव की समस्या आती है. इसके लिए फिजियोथैरेपिस्ट का प्रबंध किया जाएगा, जो उनकी इन समस्याओं को दूर करेंगे.“- रविंद्रन संकरण,महानिदेशक,बिहार राज्य खेल प्राधिकरण

शुरू होगा फीमेल एथलीट वेलनेस सेंटर: मेंस्ट्रुअल हेल्थ पॉलिसी के तहत राजगीर खेल अकादमी और पटना के पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में फीमेल एथलीट वेलनेस सेंटर शुरू किया जाएगा. यह पॉलिसी का एक हिस्सा होगा, जिसमें महिला खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों के स्वास्थ्य पोषण और बीमारियों के समुचित देखभाल के लिए काउंसलर हेल्थ प्रोफेशनल्स की व्यवस्था होगी.

ड्राफ्ट बनने में लगेगा कितना समय?: पॉलिसी में यह भी प्रयास है कि स्पोर्ट्स मसाज करने वाले, फिजियोथैरेपिस्ट, साइकोलॉजिस्ट इत्यादि को महिला टीम स्क्वाड में शामिल किया जाएगा. प्रयास है कि 1 से 2 महीने में इस पॉलिसी का ड्राफ्ट बनाकर तैयार कर लिया जाए.

सराहनीय है बिहार की पहल: माहवारी स्वच्छता के क्षेत्र में बिहार में दशकों से कार्य करने वाली समाजसेवी अमृता सिंह ने बताया कि माहवारी स्वच्छता की दिशा में बिहार शुरू से अग्रणी प्रदेश रहा है. देश में सबसे पहले पीरियड लीव की शुरुआत बिहार ने की थी और देश में सबसे पहले स्कूली बच्चियों को सैनिटरी पैड के लिए डेढ़ सौ रुपए देने की शुरुआत बिहार ने की थी, जिसे अब बढ़ाकर ₹300 कर दिया गया है.

“खेल के क्षेत्र में भी राज्य मेंस्ट्रुअल हेल्थ पॉलिसी लाने की तैयारी कर रहा है, तो यह स्वागत योग्य और सराहनीय पहल है. इस पहल को सभी राज्यों को अनुकरण करना चाहिए और हमें विश्वास है कि जब यह पॉलिसी आ जाएगी तो बिहार देश में नजीर बनेगा.“- अमृता सिंह,समाजसेवी

‘मेंस्ट्रुअल हाइजीन फ्रेंडली माहौल हो’: अमृता सिंह ने बताया कि मेंस्ट्रुअल हेल्थ पॉलिसी में वह चाहती हैं कि महिला खिलाड़ियों के लिए मेंस्ट्रुअल हाइजीन फ्रेंडली एनवायरनमेंट तैयार किया जाए. महिला खिलाड़ियों के लिए M.H फ्रेंडली टॉयलेट हो, जहां वॉशरूम में पैड वेंडिंग मशीन, इंसीनेटर, ढक्कन वाला बंद डस्टबिन, रनिंग वाटर, साफ सुथरा बाल्टी और मग होना चाहिए.

‘कोच को दी जाए ट्रेनिंग’: उन्होंने कहा कि इसके अलावा स्पोर्ट्स किट के साथ महिला खिलाड़ियों के लिए हीटिंग पैड भी होना चाहिए, ताकि पीरियड के दिनों में आने वाले क्रैंप्स की सेंकाई की जा सके. इसके साथ ही वह चाहती है कि कोच को मेंस्ट्रुअल हेल्थ एंड हाइजीन को लेकर ट्रेनिंग कराई जाए ताकि पीरियड के समय महिला खिलाड़ियों से कोच रफ बिहेवियर ना करें.

पीरियड लीव देने वाला बिहार पहला राज्य: गौरतलब है कि फीमेल हेल्थ को लेकर बिहार शुरू से नए इनोवेशन में आगे रहा है. देश में पीरियड लीव देने वाला बिहार पहला राज्य बना था और 2 जनवरी साल 1992 को बिहार सरकार ने महिला कर्मचारियों के लिए महीने में दो दिन का पीरियड लीव स्वीकृत किया था.

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