चुनावी साल में केंद्र की योजनाओं की बौछार, सवाल- PM मोदी के तोहफे से कितना बदलेगा बिहार?

पटना: इस साल अक्टूबर-नवंबर में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है. अब 4 महीने का समय बच गया है. ऐसे में सत्ता पक्ष की ओर से धड़ाधड़ योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पिछले 2 महीने में दो बार बिहार का दौरा कर चुके हैं. 20 जून को फिर बिहार दौरे पर आएंगे. जहां वह हजारों-करोड़ की योजनाओं का तोहफा देंगे. जानकार कहते हैं कि अभी बिहार पर सौगातों की बौछार ऐसे ही होती रहेगी, ताकि चुनावी लाभ लिया जाए.

प्रधानमंत्री की चुनावी साल में घोषणा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल को मधुबनी में बड़ी जनसभा की थी. इस दौरान उन्होंने 13000 करोड़ से अधिक की योजना का तोहफा बिहार को दिया था. दूसरी बार 29-30 मई को दो दिवसीय दौरे पर आए थे. पहले दिन पटना एयरपोर्ट के नए टर्मिनल के उद्घाटन के बाद पटना में रोड शो किया और अगले दिन रोहतास के बिक्रमगंज में 50000 करोड़ से अधिक की योजना का तोहफा दिया. साथ ही रैली को भी संबोधित किया.

20 जून को फिर आएंगे पीएम: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 जून को एक बार फिर बिहार दौरे पर आ रहे हैं. वह सिवान में एक जनसभा को संबोधित करेंगे. इसके साथ ही राज्य को बड़ी सौगात भी देंगे. पीएम करीब 10000 करोड़ से अधिक की योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?: पटना कॉलेज के पूर्व प्राचार्य और अर्थशास्त्री एनके चौधरी का कहना है कि चुनावी साल है. ऐसे में प्रधानमंत्री कई घोषणा आगे भी करेंगे. डेमोक्रेसी की यह खूबसूरती भी है और शायद राजनीतिक दलों की मजबूरी भी कि उन्हें चुनाव के समय घोषणा करना पड़ता है. वे कहते हैं कि प्रधानमंत्री 2 महीने में ही 60000-65000 करोड़ की योजनाओं की घोषणा कर चुके हैं. इसमें से कई योजनाओं का उद्घाटन भी किया है.

क्या होगा चुनाव लाभ?: इस बारे में एनके चौधरी का मानना है कि प्रधानमंत्री घोषणा कर रहे हैं तो उसका लाभ बिहार को जरूर मिलेगा. यदि चुनावी घोषणा भी हो तो उसमें से 50% भी घोषणा जमीन पर उतर गया तो बिहार के विकास में मदद मिलेगी और बिहार में अभी डबल इंजन की सरकार है, जिसमें भाजपा भी शामिल है तो स्वाभाविक है कि बीजेपी चाहेगी कि प्रधानमंत्री की घोषणाओं का तेजी से अमल हो. वे कहते हैं कि इससे चुनाव में कुछ न कुछ लाभ तो होता ही है.

“मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी अच्छा संबंध है तो उसके हिसाब से भी बिहार को लाभ मिलेगा. यदि विकास नहीं होगा और कुल आय नहीं बढ़ेगी तो प्रति व्यक्ति आय भी नहीं बढ़ेगा. जन उपयोगी योजनाओं पर भी उसका असर पड़ेगा. चाहे शिक्षा हो, स्वास्थ हो या अन्य क्षेत्र की योजना हो. प्रधानमंत्री की घोषणा का सकारात्मक असर बिहार में पड़ेगा. चुनावी साल में योजनाओं के शुरू होने से गठबंधन को भी फायदा मिल सकता है.”- एनके चौधरी, अर्थशास्त्री व पूर्व प्राचार्य, पटना कॉलेज

‘डबल इंजन में तेजी से विकास’: जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता और बिहार सवर्ण आयोग के उपाध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि कांग्रेस के शासनकाल में बिहार की हकमारी होती थी. बिहार का जो अधिकार रहा है, कांग्रेस की सरकारों ने कभी नहीं दिया. अब बिहार और केंद्र में डबल इंजन की सरकार है तो तेजी से विकास हो रहा है. उनका दावा है कि पीएम मोदी लगातार बिहार को सौगात दे रहे हैं, जिसका असर जमीन पर भी दिख रहा है.

“बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब भी केंद्र बिहार के विकास के लिए मदद मांगी है, प्रधानमंत्री ने उसमें पहल की है. चुनावी वर्ष तो अभी है, पिछले वर्ष के बजट में भी जब बिहार को विशेष मदद दी गई तो कांग्रेस ने कहा था कि ये तो बिहार का बजट है. जलने वाले जलते रहें लेकिन बिहार लंबे समय से विकास की मुख्य धारा में आने की कोशिश करता रहा है और उस दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार ने जो संकल्प लिया है, वह तार्किक परिणाम तक पहुंचेगा.”- राजीव रंजन प्रसाद, जेडीयू नेता सह उपाध्यक्ष, सवर्ण आयोग

पीएम के दौरे पर विपक्ष का आरोप: वहीं विपक्ष का आरोप है कि चुनावी साल में प्रधानमंत्री के दौरे लगातार होते रहेंगे. पीएम इस दौरान बिहार से चुनावी वादे भी करेंगे. 2015 का उदाहरण भी दिया जाता है कि 2015 में 125000 करोड़ की घोषणा प्रधानमंत्री ने की थी लेकिन आज तक घोषणा की राशि बिहार में खर्च नहीं हो पाई है. हालांकि सत्ता पक्ष के लोग साफ कहते हैं कि बिहार के विकास में प्रधानमंत्री जिस प्रकार से पहल कर रहे हैं, वह विपक्ष को अखर रहा है. चुनाव से पहले उनकी नींद उड़ी हुई है.

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