विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान को पटना हाईकोर्ट में चुनौती, SIR पर रोक लगाने की मांग

पटना : बिहार की पटना हाईकोर्ट में चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका दायर की गई है. यह जनहित याचिका सत्यनारायण मदन व अन्य द्वारा वरीय अधिवक्ता बसंत कुमार चौधरी के माध्यम से दायर की गई है.

आयोग की शर्तें क्षेत्राधिकार से बाहर : चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया चल रही है. याचिका में कहा गया है कि आयोग द्वारा मतदाता बनाए जाने के लिए जो शर्तें लगाई गई हैं, वे चुनाव आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर हैं.

संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन : याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि आयोग ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 5, 6 व 19 और अनुच्छेद 325, 326 के विरुद्ध जाकर शर्तें निर्धारित की हैं. ये शर्तें चुनाव आयोग की अधिकार सीमा से बाहर की बात हैं.

नागरिकता की जांच का अधिकार नहीं : याचिका में यह भी कहा गया है कि चुनाव आयोग को नागरिकता की जांच करने का कोई अधिकार नहीं है. जन्म और निवास के आधार पर जो लोग एक बार मतदाता बन चुके हैं, उनके नामों को इस तरह जांच कर मतदाता सूची से नहीं हटाया जा सकता है.

SIR पर रोक लगाने की मांग : चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित सीमाएं उचित नहीं हैं. साथ ही जो वर्गीकरण किया गया है, वह भी सही नहीं है. इस याचिका में मांग की गई है कि उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए चुनाव आयोग द्वारा इस तरह से मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए.

सुप्रीम कोर्ट में भी हुई सुनवाई : बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने SIR पर रोक लगाने की मांग पर चुनाव आयोग को राहत दी है. अब हाईकोर्ट में ये मामला जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गई है. देखना ये है कि सुप्रीम कोर्ट इसपर सुनवाई के बाद क्या फैसला लेता है? 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई होनी है.

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