लखनऊ : लखनऊ स्थित राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनपीआरआई) ने ‘हेरिटेज ट्री गार्डन’ को दो भागों उत्तर भारत और दक्षिण भारत ट्रैक में विभाजित करने की योजना बनाई है. इस कदम के तहत अब देश के कोने-कोने से इतिहास के साक्षी रहे वृक्षों को एक ही स्थान पर कर जीवित दस्तावेज के रूप में सहेजा जाएगा.
इसी कड़ी में अगला चरम दक्षिण भारत की और बढ़ रहा है. दक्षिण भारत ट्रैक के लिए तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों के ऐसे पेड़ विकसित किए जा रहे हैं जो सामाजिक आंदोलनों, स्वतंत्रता संग्राम व पौराणिक धरोहरों से जुड़े रहे हैं. इनमें तमिलनाडु से वल्लुवर का पीपल, आंध प्रदेश से अल्लूरी सोखराम राजू को स्मृति में मौजूद बरगद, कर्नाटक से क्रांतिकारियों की बैठकों के गवाह नीम और केरल से वे वृक्ष जो ब्रिटिश काल में गुप्त सभाओं के स्थंभ माने जाते थे.
वैज्ञानिक जुटा चुके 20 सैंपल, बाकी पर काम जारी : डॉ. अजीत शासनी ने बताया कि दक्षिण भारत के इन वृक्षों के पातन और संरक्षण के लिए वैज्ञानिकों को कई टीमें अलग अलग राज्यों में शोध कार्य कर रही हैं. अब तक लगभग 20 पेड़ों के सैंपल (जड़, काटिंग, बोज) जुटाए जा चुके हैं. शेष पर काम चल रहा है.